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आज के इस आलेख में हम बाली और हनुमान जी के बीच हुए युद्ध के बारे में बात करने वाले हैं, हम जानेंगे कि क्या वाकई में इन दो महारथियों के बीच युद्ध हुआ था, इस युद्ध का कारण क्या था और अंत में इस युद्ध का क्या परिणाम हुआ ?
- जब बाली का हनुमान जी से हुआ आमना-सामना।
- हनुमान जी और बाली की युद्ध में कौन जीता-कौन हारा ?
- क्यों हनुमान जी को करना पड़ा था बाली से युद्ध ?
रामायण काल में महाबलियों में एक नाम बाली का भी शामिल था। वो एक ऐसा प्रतापी राजा था जिसका पराक्रम तीनो लोको में था। देवराज इंद्र के धर्मपुत्र और किष्किंधा के राजा बाली के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं । उससे शक्तिशाली तीनो लोको में कोई नहीं था। लेकिन जब उसका सामना हनुमान जी से हुआ तो क्या हुआ ?
आइये जानते हैं बाली-हनुमान जी युद्ध की ये रोचक कथा।
धार्मिक कथाओ के अनुसार ब्रह्मा जी ने बाली को एक मंत्रयुक्त दिव्य हार प्रदान कर ऐसा वरदान दिया था की जब भी वो इस हार को पहन कर रणभूमि में अपने शत्रु का सामना करेगा तो उसके शत्रु की आधी शक्ति छीन हो जाएगी और वह आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाएगी, इस अद्भुत चमत्कारी शक्ति के कारण बाली जब भी युद्ध करता था तो उसका शत्रु चाहे कितना भी शक्तिशाली हो उसकी आधी शक्ति बाली में समां जाती थी और इसी तरह दुश्मन कमजोर हो कर, बाली के हाथो मारा जाता था, इसी वरदान के कारन बाली को कभी भी पराजय का मुँह नहीं देखना पड़ा |
बाली ने अपनी इस अद्भुत शक्ति के बल पर हजार हाथियों का बल रखने वाले कुतुम्भी नामक राक्षस का वध कर दिया था, कुतुम्भी के बाद बाली ने उसके भाई मायावी को भी एक गुफा में ढेर कर दिया था | कहा जाता है की एक बार रावण ने बाली के साथ छल किया जिसके पश्चात बाली ने रावण को धूल चटा दी थी बाली ने उसे बुरी तरह से पीटा, और फिर अपनी कांख में दबा लिया और इस तरह कांख में छह माह तक दबाये रख कर संसार में इधर उधर घूमता रहा | अंत में रावण ने हार मान ली और बाली को अपना मित्र बना लिया जिसके पश्चात उसने रावण को मुक्त कर दिया |
असुरो के राजा रावण को परास्त करने के पश्चात बाली का अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच गया | बाली को ये घमंड हो गया की उसे तीनो लोको में कोई नहीं हरा सकता|
मद में चूर बाली एक जंगल की ओर निकल गया | कुछ कदम आगे बढ़ने पर उसे एक हरा-भरा जंगल दिखाई दिया, बाली उस जंगल को तहस नहस कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहता था वो जंगल के हरे भरे पेड़ो को तिनके के समान उखाड़ कर फेकने लगा , संयोग से उस जंगल में राम भक्त हनुमान, प्रभु श्री राम की तपस्या कर रहे थे | बाली की गर्जना से उनकी तपस्या भंग हो गयी गर्व के नशे में चूर बाली अपने आप से गरजते हुए कहने लगा | हनुमान जी से रहा नहीं गया और वो बाली के पास पहुंचे और बड़ी ही विनम्रता से कहने लगे - "हे वानर राज आप अति बलशाली हैं आपको कोई नहीं हरा सकता | लेकिन आप क्यों फलो से लदी इन वृक्षों को उखाड़ कर फेक रहें हैं ? आप क्यों ये शांत वन को उजाड़ रहें हैं ? ऐसा प्रतीत होता है की ब्रह्मा जी से वरदान स्वरुप प्राप्त शक्तियों के कारण आपको घमंड हो गया है 'हे वानर राज आप अपने आप को पहचानिये और राम नाम का जाप कीजिये जिससे आपका घमंड अपने आप ही दूर हो जायेगा " ये सुनकर बाली अति क्रोधित हो गया और कहने लगा " हे तूच्य वानर तू मेरा सेवक हो कर मुझे शिक्षा दे रहा है , और तू किस राम के बारे में कह रहा है, मैंने यह नाम कभी नहीं सुना |
हनुमान जी - हे राजकुमार बाली, प्रभु श्री राम तीनो लोको के स्वामी हैं उनकी महिमा अपरम्पार है, ये वो सागर है जिसकी एक बून्द भी मिल जाये तो भवसागर पार कर जाये|
बाली - यदि इतने ही महान है तेरे श्री राम, तो बुला उनको मैं भी देखूँ कितनी शक्ति है उनकी भुजाओं में |
ये सुनकर हनुमान जी क्रोधित हो उठे फिर उन्होंने कहा - बल के मद में चूर ऐ बाली तू क्या प्रभु श्री राम को हराएगा पहले उनके इस तुक्ष सेवक को तो पराजित कर के दिखा, तो शायद मैं तुझे मान लू |
बाली- ठीक है | कल सूर्य उदय होते ही तू मुझसे युद्ध करने के लिए तैयार हो जा |
हनुमान जी - जैसी आपकी मर्ज़ी, मैं तैयार हूँ |
अगले ही दिन हनुमान जी तैयार होकर युद्ध के लिए निकलने ही वाले थे कि ब्रम्हा जी उनके समक्ष प्रकट हुए उन्होंने हनुमान जी को समझाने की कोशिश की, कि वो बाली की युद्ध की चुनौती स्वीकार ना करे लेकिन हनुमान जी ने कहा - उसने प्रभु श्री राम को चुनौती दी है , ऐसे में अब यदि मैं उसकी चुनौती को अब अस्वीकार कर दूंगा तो दुनिया क्या समझेगी, लोग मुझे कायर कहेंगे, इसीलिए उसे तो सबक सिखाना ही होगा |
तब ब्रह्मा जी ने कहा - ठीक है | आप युद्ध के लिए जाये, लेकिन अपनी शक्ति का दसवाँ हिस्सा ही ले कर जाये , शेष शक्ति को अपने आराध्य के चरणों में समर्पित कर जाये | युद्ध के उपरांत ये शक्ति फिर से ले लीजियेगा |
हनुमान जी ने ब्रम्हा जी का मान रखते हुए वैसा ही किया, वो अपनी शक्ति का दसवाँ हिस्सा ही लेकर, बाली से युद्ध करने के लिए निकल पड़े, उधर बाली युद्ध के मैदान में हनुमान जी को ललकारते हुए उनका इंतज़ार कर रहा था |
बाली (ललकारते हुए) - आज उस वानर को मेरी शक्ति का पता लग जायेगा | एक बार वो मेरे सामने आ जाये |
बाली के इतना कहने पर हनुमान जी ने बाली के सामने अपना कदम रखा , फिर ब्रह्मा जी के वरदान के अनुसार, हनुमान जी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में प्रवेश करने लगा, इससे बाली को अपने शरीर में अपार शक्ति प्राप्त होने का एहसास होने लगा |
बाली (चौकते हुए ) - ये ये क्या हो रहा है, मुझमे अचानक से इतनी शक्ति कहाँ से आ रही है |
बाली को लगा की जैसे समस्त संसार की ताकत उसके शरीर में समाने लगी है | छन भर के बाद उसे एहसास होने लगा उसके शरीर की सारी नसे फटने वाली है , और रक्त बाहर निकलने वाला है |
तभी अचानक वहाँ ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बाली से कहने लगे |
ब्रह्मा जी - बाली यदि तुम जीवित रहना चाहते हो तो शीघ्र ही हनुमान से कोसो दूर भाग जाओ अन्यथा तुम्हारा शरीर फट जायेगा |
बाली को कुछ भी समझ नहीं आया लेकिन वो ब्रह्मा जी को यूँ प्रकट देख कर समझ गया की कुछ गड़बड़ है | वो वहाँ से तीव्र गति से भागने लगा, सेकड़ो मील भागने के बाद वो थक कर निढाल हो गया, कुछ देर के बाद जब उसे होश आया, तो उसके सामने ब्रह्मा जी खड़े थे |
बाली - ये ये ऐसा क्या है | आपने मुझे युद्ध के मैदान से क्यों भगा दिया और अभी आप मेरे समक्ष खड़े हैं , क्या बात है ?
ब्रह्मा जी ने कहा - बाली तुम स्वयं को संसार में सबसे शक्तिशाली समझते हो, लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान की शक्ति का छोटा सा हिस्सा भी नहीं संभाल पा रहा |
बाली - आपके कहने का तात्पर्य क्या है ब्रह्मदेव ?
ब्रम्हा जी - जब हनुमान युद्ध करने तुम्हारे सामने आये तो उनका आधा बल तुममे समा गया फिर क्या हुआ इसका एहसास तुम्हे हो ही गया होगा |
बाली - हाँ | मुझे ऐसा लगा की संसार की सारी शक्ति मेरे शरीर में समा रही है | ऐसा लग रहा था की मेरा शरीर फटने वाला है और और नसों से खून बाहर निकल
आएगा |
ब्रह्मा जी - हे बाली ! मैंने हनुमान से कहा था की वो अपनी शरीर की शक्ति का दसवाँ भाग ही लेकर तुमसे युद्ध करने जाये, सोचो यदि वे सम्पूर्ण शक्ति लेकर, युद्ध करने के लिए तुम्हारे सामने आते तो तुम्हारा क्या होता |
ये जान कर बाली को अपनी भूल का आभास हुआ फिर बाली ने हनुमान जी को दंडवत प्रणाम किया और कहा -
बाली - आपमें संसार की शक्ति समायी हुई है फिर भी आप शांत रहते हैं , और प्रभु श्री राम का गुणगान करते रहते हैं और एक मैं हूँ जो उनके एक बल के बराबर भी नहीं हूँ, फिर भी उनको ललकार रहा था, मुझे क्षमा करे ! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी !
इस प्रकार बाली और हनुमान जी के बीच हुए युद्ध का परिणाम हनुमान जी के पक्ष में रहा और बाली के अहंकार का भी अंत हुआ जबकि हनुमान जी अपने शक्ति का एक अंश ही लेकर गए थे और वह एक अंश ही अपने आप में इतना अधिक था कि बाली उसके आधे हिस्से को भी अपने अंदर सम्माहित नहीं कर पाया | इस तरह सामने वाले की आधी शक्ति खींच कर युद्ध जीतने वाला बाली, यद्ध शुरू होने से पहले ही पराजित हो गया |
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